What is Software Engineer

Complete information about Software Engineer



हाल ही हुई ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत में तकरीबन 5 मिलियन (50 लाख) सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। तकनीकी का युग विकसित होने से आम इंसानो के साथ - साथ मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि भी काफी एडवांस हो गए हैं। यह सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सॉफ्टवेयर की मदद से ही चलती हैं जिन्हें एक अच्छा और इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर इंजीनियर ही डेवलप करता है। अब आप यह सोच रहे होंगे कि भला ये सॉफ्टवेयर किस चीज का नाम है या सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बना जाता हैं बगैरा वगैरा। बस इसी प्रकार के अनगिनत प्रशन आपके दिमाग को कचोट रहे होंगे। अगर आप भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं? तो आप सही जगह पर आये हैं। यहाँ आप 'software engineering in Hindi' में जानेंगे इस ब्लॉग से संबंधित जानकारी को। 

               भारत में इस समय इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी क्षेत्र के तेजी से विकास के कारण सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स काफी ज्यादा मांग में हैं। यह कोर्स प्रोग्रामिंग भाषाओं और कई तरह के सॉफ्टवेयर के डिजाइन और विकास पर टिका हुआ है। यह कोर्स उस अध्ययन पर केंद्रित है जो छात्रों को सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मूल सिद्धांतों के बारे में जानने में मदद करता है। तो चलिए शुरु करते है....







सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या हैं (What is software engineering?) :-

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक प्रकार का कंप्यूटर से सम्बंधित इंजीनियरिंग कोर्स होता है जो दो शब्दों से मिलकर बना है पहला शब्द है सॉफ्टवेयर और दूसरा शब्द है इंजीनियरिंग। अगर हम दूसरे शब्दों में कहें तो सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग IT की एक ब्रांच है जिसमें विभिन्न प्रकार की सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग, डेवलपमेंट, मैनटेनिंग, टेस्टिंग, प्रोग्रामिंग आदि के बारे में सिखाया और पढ़ाया जाता है।

            इसमें अलग - अलग प्रकार की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग होता है। जो यूजर की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोडिंग एक सॉफ्टवेयर डेवलपर मतलब सॉफ्टवेयर इंजीनियर  करता है। उसकी टेस्टिंग करके उसे मैंटेन भी करता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए इन सब प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होना बहुत जरूरी है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना बहुत मुश्किल नहीं होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए लैंग्वेज सीखना बेहद जरुरी है क्योंकि इसके बिना सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं बना जा सकता है। 





कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है (What is computer programming language?) :-

  "प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एक प्रकार की लिखित भाषा है जो कंप्यूटर को बताती है कि उसे क्या करना है। मूल रूप से, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा हमें कंप्यूटर को उसी भाषा में निर्देश देने की अनुमति देती है जिसे कंप्यूटर समझता है।"


  "प्रोग्रामिंग लैंग्वेज निर्देशों का एक सेट है जो प्रोग्राम को कुछ ऐसे कार्य करने मे मदद करता है। जो प्रोग्रामर द्वारा दिये गए वैध इनपुट के अनुसार ही आउटपुट लौटाते है।"


  "प्रोग्रामिंग लैंग्वेज़ एक कंप्यूटर भाषा है जिसका उपयोग कंप्यूटर के साथ संवाद करने के लिए किया जाता है। यह किसी समस्या को हल करने के लिए स्टेप बाई स्टेप निर्देशों का एक क्रम है।"

अब तो आप समझ गए होंगे कि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज़ क्या है क्यों कि यहाँ पर आपको एक नही दो नही बल्कि तीन - तीन प्रकार से समझाया गया है।

अब अगर कंप्यूटर भाषा की बात करे तो इस समय लगभग 2,500 प्रोग्रामिंग भाषाएं मौजूद हैं। जिसमें HTML, JAVA, PHP, C/C++, Python आदि कुछ प्रोग्रामिंग भाषाएं हैं।

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपको इन सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की नॉलेज होना बहुत ही आवश्यक है।




सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बने स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी (How to become a software engineer step by step complete information) :-

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए नीचे स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी दिखाई गई है। जो आपके सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के सपने को साकार करेगी ----

स्टेप 1: स्कूल स्तर से :   सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए शुरुआत स्कूली स्तर से ही की जाती है। 10वीं की परीक्षा पास कर लेने के बाद साइंस स्ट्रीम को चुनना जरूरी होता है। और आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विज्ञान विषयों में पढ़ाए जाने वाले सभी बुनियादी विषयों पर आपकी अच्छी से अच्छी पकड़ हो, क्योंकि स्कूल के बाद इस क्षेत्र में हायर एजुकेशन की डिग्री हासिल करने के योग्य होने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है। साथ ही, आपको विज्ञान विषयों में अच्छे अंकों की जरूरत होगी ताकि आप अपनी आगे की पढ़ाई के लिए सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक में अध्ययन करने की न्यूनतम जरूरतों को पूरा कर सकें।


स्टेप 2: बैचलर्स डिग्री :    सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है तो वह है कि इस क्षेत्र या संबंधित क्षेत्र में बैचलर्स डिग्री प्राप्त करना है। चूंकि ज्यादातर विश्वविद्यालय सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बैचलर्स की डिग्री प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री के लिए जाना एक अच्छा विचार है, क्योंकि यह कंप्यूटर साइंस के तहत एक विशेष क्षेत्र है।कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री 4 साल की अवधि का होता है और इसमें उन सभी आवश्यक विषयों को शामिल किया जाएगा जो आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए मास्टर करने की आवश्यकता है। आप संबंधित क्षेत्र में डिप्लोमा करके भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकते हैं, बैचलर्स डिग्री प्राप्त करना एक अच्छा विचार है क्योंकि शीर्ष कंपनियां अक्सर कम से कम स्नातक की डिग्री रखने वाले उम्मीदवारों को काम पर रखना पसंद करती हैं।


स्टेप 3: इंटर्नशिप :    सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने मे तीसरा महत्वपूर्ण कदम है इंटर्नशिप करना। इंटर्नशिप  अपनी स्किल्स को प्रैक्टिस में लाने में मदद कर सकती है। जब भी आप अपनी अंडर ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त कर रहे हों या इसे पूरा करने के बाद भी इंटर्नशिप के अधिक से अधिक अवसरों का लाभ उठाना सुनिश्चित करें। ये इंटर्नशिप आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्योंकार्यों के लिए बहुत ही आवश्यक समझ और सूझ-बुझ प्रदान करेगी और साथ ही साथ आपके भविष्य के प्रयासों में सफलता को प्राप्त करने में आपकी सहायता भी करेगी।


स्टेप 4: स्किल को अपडेट करें :    कंप्यूटर विज्ञान में बैचलर्स डिग्री ही आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के योग्य बनाती है, आपको  केवल विभिन्न नौकरी मे पदों के लिए खुद को तैयार करने के लिए अपने कौशल को बढ़ाने की आवश्यकता है। अलग-अलग प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि Python, C++Java, PHP, HTML आदि को सीखना आपको दूसरों पर प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला सकता है। अपनी स्किल्स को विकसित करने का एक और तरीका यह है कि आप नए सॉफ्टवेयर बनाने में अपना हाथ आजमाएं। इससे आप अपने ज्ञान को व्यावहारिक उपयोग में ला सकेंगे। इसके अलावा आप आगे भी नौकरी के अवसरों को खोलने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में मास्टर्स का विकल्प भी चुन सकते हैं।


स्टेप 5: जॉब के लिए आवेदन :   सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की दिशा में अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम नौकरियों के लिए आवेदन शुरू करना है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को नौकरी के लिए अपने सभी स्किल् और अनुभव को उजागर करते हुए किसी कंपनी मे आवेदन शुरू करना होगा। शुरू में आपको एक छोटी कंपनी में नौकरी करनी पड़ सकती है, लेकिन जैसे-जैसे आप अनुभव और अपने कौशल का निर्माण करते रहेंगे, वैसे ही आपको जल्द ही किसी मल्टी नेशनल कंपनी से जॉब ऑफर आना शुरू हो जाते है। आप जल्द ही अपनी सपनों की कंपनी में एक पद पाने के लिए उठ सकते हैं।



12वीं के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स (Software engineering course after 12th) :-

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए आपको बारहवीं क्लास साइंस स्ट्रीम से पास करना अनिवार्य है जिसमें आपके फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स और कंप्यूटर साइंस ये सभी विषय होने चाहिए। तो चलिए जानते है 12वीं के बाद करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के कोर्सेज के बारे में -:

  CS Diploma 

  IT  

  BCA

  B. Tech

  M. Tech

  ME 

  B. Sc

  MSc

  PhD 




सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स (software engineering course) :-

यहाँ नीचे कुछ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के कोर्सेज के लिए टेबल दी गई है :-

डिप्लोमा स्तर कोर्स :-
=> नेटवर्क और सॉफ्टवेयर का डिप्लोमा


स्नातक स्तर कोर्स :-
=> स्नातक बिजनेस के लिए बीएससी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
=> बीईएनजी नेटवर्क और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
=> बीई/बीटेक/बैचलर ऑफ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
=> बीएससी कंप्यूटर साइंस(सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)


मास्टर्स स्तर कोर्स :-
=> एमएससी एडवांस्ड सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी 
=> एमएससी/एमईएनजी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
=> पीजीसीर्ट/पीजीडीआईपी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग





सिलेबस (syllabus) :-

यहाँ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सिलेबस के कुछ जरूरी विषय दिए गए हैं :-

लॉजिक सर्किट, बिजनेस डाटा प्रोसेसिंग, एप्लाइड फिजिक्स, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, कोर मैथ्स, ऑपरेटिंग सिस्टम, इंजीनियरिंग मैकेनिक्स, बेसिक इलेक्ट्रिसिटी एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, अप्लाइड केमिस्ट्री, इंजीनियरिंग ड्राइंग, डिस्क्रीट स्ट्रक्चर, कंप्यूटर मैथड्स एंड एल्गोरिथ्म, C प्रोग्रामिंग, कंप्यूटर आर्गेनाइजेशन, कंप्यूटर नेटवर्क एंड कम्युनिकेशन,  डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग, डाटा कम्युनिकेशन

(आप AI Course Finder की मदद लेकर अपने पसंदीदा कोर्सेज और उससे सम्बंधित टॉप यूनिवर्सिटी का आसानी से चयन कर सकते हैं। )




टॉप विदेशी यूनिवर्सिटीज (Top foreign universities) :-

यहाँ नीचे कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय दर्शाये गए हैं, जिनके माध्यम से आप इंजीनियरिंग के इस विशेष क्षेत्र में अच्छी से अच्छी यानी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बड़ी सरलता से प्राप्त कर सकते हैं :-

●    मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ  टेक्नोलॉजी (कैंब्रिज, united states) 

    यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (लंदन, इंग्लैंड) 

    साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) 

    मिशिगन यूनिवर्सिटी (USA) 

    मेलबर्न विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया) 

    ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय (कनाडा) 

    टेक्सास  ए एंड एम  विश्वविद्यालय  (संयुक्त राज्य) 

    तस्मानिया विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया) 

●  न्यू ऑरलियन्स विश्वविद्यालय ( संयुक्त राज्य अमरीका)

    वाशिंगटन विश्वविद्यालय (संयुक्त राज्य) 

    नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर(मलेशिया) 

 यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन (संयुक्त राज्य) 

   स्टैनफोर्ड    विश्वविद्यालय ( केलिफोर्निया , संयुक्त राज्य अमेरिका) 

●    टेक्निकल  यूनिवर्सिटी  ऑफ  डेनमार्क (डेनमार्क) 

    इंपीरियल कॉलेज (लंदन, इंग्लैंड) 

     यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया) 

    यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा (कनाडा

    हीरियट–वाट यूनिवर्सिटी(एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड) 

(आप UniConnect के माध्यम से विश्व के सबसे पहले और सबसे बड़े ऑनलाइन विश्वविद्यालय मेले का हिस्सा बनने का मौका प्राप्त कर सकते हैं, जहाँ आप अपनी पसंद के विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि से सीधा संपर्क कर सकेंगे।




सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए टॉप भारत मे कॉलेज (Top colleges in India for software engineering) :-

केवल भारत की ही बात करे तो 200 से ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिससे हर साल हजारों से भी ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियर स्टूडेंट पास आउट होकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में कदम रखते हैं। इन सभी इंजीनियरिंग कॉलेज में बैचलर्स, मास्टर्स और डिप्लोमा की डिग्री उपलब्ध हैं। यहाँ नीचे देश के टॉप  सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम दर्शाये गए हैं।

   सभी IIT 

आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापत्तनम

● एनआईटी सुरथकल – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक

    इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, कोलकाता

    सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर

  वेल्स विश्वविद्यालय – वेल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज

    श्रीनिवास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मैंगलोर

    शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुरी

    इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई

●  पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर

    समुंद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ मैरीटाइम स्टडीज, पुणे

● जी के एम कॉलेज ऑफ  इंजीनियरिंग एंड  टेक्नोलॉजी, चेन्नई

(आप AI Course Finder की मदद से भी अपने पसंदीदा कोर्सेज और उससे सम्बंधित टॉप यूनिवर्सिटी का भी चयन कर सकते हैं।




योग्यता (Ability) :-

यदि आप इस क्षेत्र में डिग्री प्राप्त करने के इच्छुक हैं, तो आपको अपने चुने हुए विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा। ये आवश्यकताएं कोर्सेज के स्तर के अनुसार भिन्न होती हैं, जैसे बैचलर, मास्टर या डिप्लोमा। इंजीनियरिंग कोर्सेज के लिए कुछ सामान्य योग्यता इस प्रकार हैं–

इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री प्रोग्राम के लिए ज़रुरी है कि उम्मीदवार ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से PCM (फिजिक्सकेमिस्ट्री, गणित) से 10+2 प्रथम श्रेणी से पास किया हो। और मास्टर्स डिग्री(PG) प्रोग्राम के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार ने  संबंधित क्षेत्र मे  बैचलर डिग्री प्रोग्राम  55%-60% अंको के साथ पास किया हो। मगर  कुछ यूनिवर्सिटीज अपने स्तर से प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन स्वीकार करतीं हैं।


भारत में इंजीनियरिंग में बैचलर्स के लिए कुछ कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में JEE mainsJEE Advanced, MHT CET जैसे प्रवेश परीक्षा के स्कोर अनिवार्य हैं। साथ ही कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करतीं हैं। विदेश में इन कोर्सेज  के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा निर्धारित आवश्यक ग्रेड आवश्यकताओं को पूरा करना जरुरी है, जो हर यूनिवर्सिटी और कोर्स के अनुसार अलग–अलग हो सकती है।

 

विदेश की ज्यादातर यूनिवर्सिटीज बैचलर्स कोर्सेज के लिए SAT और मास्टर्स कोर्सेज के लिए GRE स्कोर की मांग करते हैं।

विदेश की यूनिवर्सिटीज में Admission के लिए  IELTS या TOEFL, PTE टेस्ट स्कोर, अंग्रेजी  Proficiency के प्रमाण के रूप में ज़रूरी होते हैं। जिसमे IELTS स्कोर 7 या उससे अधिक और  TOEFL स्कोर 100 या इससे अधिक होना चाहिए।

विदेश की यूनिवर्सिटीज में पढ़ने के लिए SOPLORसीवी या रिज्यूमे और पोर्टफोलियो भी जमा करने की जरूरत पड़ती है।

(क्या आप IELTS/TOEFL/SAT/GRE में अच्छे और ज्यादा अंक प्राप्त करना चाहते हैं? तो आज ही इन exams की बेहतरीन तैयारी के लिए  Leverage Live पर तुरंत रजिस्टर करें और अच्छे और ज्यादा से ज्यादा अंक प्राप्त करें।)




विदेश की यूनिवर्सिटीज मे प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है (The application process for admission to a foreign university is as follows) :-

आपकी आवेदन प्रक्रिया का सबसे पहला स्टेप सही कोर्स चुनना है, जिसके लिए आप AI Course Finder की मदद लेकर अपने पसंद के कोर्सेज का चुनाव करके उसे शॉर्टलिस्ट कर सकते हैं। 

एक्सपर्ट्स से कॉन्टैक्ट के बाद वे कॉमन डैशबोर्ड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई यूनिवर्सिटीज मे आपकी आवेदन प्रक्रिया को शुरू करेंगे। 

इसके बाद आपका अगला कदम है कि आप अपने सभी दस्तावेजों जैसे SOP, निबंध, Certificates और  LOR और आवश्यक टेस्ट स्कोर जैसे IELTS, TOEFL, SAT, ACT आदि को इकट्ठा करना और सुव्यवस्थित करना है। 

अगर आपने अभी तक अपनी IELTS, TOEFL, PTE, GMAT, GRE आदि परीक्षा के लिए तैयारी नहीं की है, जो निश्चित रूप से विदेश में अध्ययन करने का एक महत्वपूर्ण जरिया है, तो आप Leverage Live क्लासों यानी कक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। ये कक्षाएं आपको अपने टेस्ट में ज्यादा से ज्यादा स्कोर प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण कारक साबित हो सकती हैं।

आपका एप्लीकेशन और सभी आवश्यक दस्तावेज जमा कर देने के बाद आप एक्सपर्ट्स आवास, छात्र वीजा और छात्रवृत्ति / छात्र लोन के लिए भी आवेदन प्रक्रिया शुरू करेंगे । 

अब आपके पास प्रस्ताव पत्र की प्रतीक्षा करने का समय है जिसमें लगभग 4 से 6 सप्ताह या उससे भी ज्यादा का समय लग सकता है। ऑफर लेटर आने के बाद उसे स्वीकार करके जितना भी सेमेस्टर शुल्क हो उसका भुगतान करना आपकी आवेदन प्रक्रिया का अंतिम तथा आखिरी प्रक्रिया है। 

(आवदेन प्रक्रिया से सम्बन्धित जानकारी और सहायता के लिए Leverage Edu के एक्सपर्ट्स से 1800572000 पर तुरंत संपर्क कर सकते है।




भारत के यूनिवर्सिटीज में आवेदन प्रक्रिया, इस प्रकार है (The application process in Indian universities is as follows) :-

सबसे पहले आप अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें।

यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक यूजर नेम और पासवर्ड प्राप्त हो जायेगा। 

फिर वेबसाइट में साइन इन(sing in) के बाद अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें जिसे आप करना चाहते हैं।

अब शैक्षिक योग्यता, वर्ग और भी बहुत सी जानकारी भरने के साथ आवेदन फॉर्म भरें।

इसके बाद आवेदन फॉर्म को जमा करें और आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान सब कुछ जांच लेने के बाद ही करें। 

(यदि एडमिशन प्रवेश परीक्षा पर आधारित है तो पहले प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करें और फिर रिजल्ट के बाद काउंसलिंग की प्रतीक्षा करें। प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर ही आपका चयन किया जाएगा और लिस्ट जारी की जाएगी।) 




आवश्यक दस्तावेज़ (Required Documents) :-

यहाँ नीचे कुछ जरूरी दस्तावेज़ों की लिस्ट दी गई  हैं। जिसे आप अपने पास इकट्ठा करके सुरक्षित रखे ताकि जरूरत पड़ने पर आप इसका यूज कर सके :–

आधिकारिक शैक्षणिक ट्रांसक्रिप्ट

  स्कैन किए हुए पासपोर्ट की कॉपी

  IELTS या TOEFL, आवश्यक टेस्ट स्कोर 

  प्रोफेशनल/एकेडमिक LORs

  SOP 

  निबंध (यदि आवश्यक हो)

  पोर्टफोलियो (यदि आवश्यक हो)

  अपडेट किया गया सीवी / रिज्यूमे

  एक पासपोर्ट और छात्र वीजा 

  बैंक विवरण 

(छात्र वीजा प्राप्त करने के लिए भी Leverage Edu के विशेषज्ञों से मदद ले सकते है ये विशेषज्ञ आपकी हर सम्भव मदद करेंगे।




प्रवेश परीक्षाएं (entrance examinations) :-

यहां नीचे उन सभी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रवेश परीक्षाओं की सूची दर्शायी गई है जिनका उपयोग भारत और विदेशों के यूनिवर्सिटी  इंजीनियरिंग डिग्री के लिए छात्रों को प्रवेश देने के लिए करते हैं। -:


विदेश में बैचलर्स के लिए :-

  SAT 

  JEE Mains

  AICET

  MERI Entrance Exam


विदेश में मास्टर्स के लिए :-

  GRE 

  JEE Advanced

  IMU CET



करियर विकल्प (career options) :-

आइए इस क्षेत्र में नौकरी के कुछ अवसरों पर एक नज़र डालें। ग्रेजुएट्स के पास नौकरी के ढेर सारे अवसर हैं, खासकर क्योंकि यह हर दिन नए और बेहतर सॉफ्टवेयर और ऐप्स की आवश्यकता के कारण तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है। यहां कुछ नौकरी के पद दिए गए हैं जिन्हें आप चुन सकते हैंहैं :-

  सॉफ्टवेयर इंजीनियर

  सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट

  सॉफ्टवेयर स्पेशलिस्ट

  चीफ टेक्निकल ऑफिसर

  सॉफ्टवेयर ट्रेनी डेवलपर

  साइबर सिक्योरिटी मैनेजर

  सॉफ्टवेयर डेवलपर

  सेल्स मैनेजर

  वीडियो गेम डिज़ाइनर

  प्रोग्रामर




सॉफ्टवेयर इंजीनियर के कार्य (Software Engineer Jobs) :-

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपको कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज यानी कंप्यूटर की भाषा जैसे C, C++, JAVA, Python, CSS, Php आदि की जानकारी होना जरूरी है क्योंकि एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर इनकी सहायता से ही सॉफ्टवेयर डेवलप करता है। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के निम्नलिखित कार्य होते हैं। :-

●  एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का मुख्य कार्य प्रोग्रामिंग करना। 

  सॉफ्टवेयर डेवलप करना। 

  मोबाइल ऐप्स बनाना। 

  लैपटॉप और कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर बनाना।

  ऐप  व  प्रोग्राम  को  डेवलप  करने  मे आने  वाली परेशानियों को सॉल्व करना। 

  सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग करना। 

  सॉफ्टवेयर को मैंटेन रखना। 

 यूजर  की आवश्यकता  के  अनुसार  सॉफ्टवेयर बनना।





सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी (software engineer salary) :-

अपने भारत में ऐसी कई टॉप कंपनी से जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर को बहुत अच्छी खासी सैलरी है। भारत मे  सॉफ्टवेयर इंजीनियर को  टॉप कंपनीज द्वारा दी जाने वाली सैलरी को अच्छी तरह से समझने के लिए एक टेबल नीचे दर्शाया गया है, जहां आप भी अपनी कंपनी का नाम देख सकते है -:


कंपनी नाम              सैलरी (रुपए, वार्षिक)         

Tata                        13,49,000 लगभग
                              
Birla                       4.2 लाख - 13 लाख लगभग  

Flipkart                  1 लाख – 40 लाख लगभग  
                              
Apple                      12 लाख – 96 लाख लगभग

Reliance                 2 लाख – 13 लाख लगभग

Zomato                   2 लाख – 31 लाख लगभग




सॉफ्टवेयर इंजीनियर सैलरी 2023 (software engineer salary 2023) :-

जैसा कि हमने आपको बताया सॉफ्टवेयर इंजीनियर एक बहुत ही ऊंचे पद की नौकरी है जिसके लिए सभी देश अपने वर्कर्स को अपने हिसाब से पे करते है। आजकल तो अलग अलग कंपनियां अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को उनके अनुभव के अनुसार पैसे देती हैं।

आपको बता दें अलग-अलग देशों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी अलग-अलग होती है। इसमें देश के अर्थव्यवस्था, सॉफ्टवेयर उद्योग की विकास दर और सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की मांग जैसे कई कारक होते हैं। चाहे किसी भी कारण से पर यह क्षेत्र रोजगार के लिए बहुत ही अच्छा विकल्प है।




सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सालाना आय (Annual income of software engineer) :-

यदि हम बात करें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सालाना आय की तो आपको बता दें यूएस डॉलर के अनुसार एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को $91,098 के आसपास सैलरी दी जाती है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर एक अच्छा पैसों वाला रोजगार है, जिसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।

वही अब हम बात करें एक सॉफ्टवेयर मैनेजर या  अनुभवी सॉफ्टवेयर इंजीनियर के सालाना आय की तो हमारे भारत देश में तो ₹3,00,000 से लेकर ₹15,00,000 तक के बीच सैलरी कंपनी की तरफ से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए निर्धारित की जाती है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी मुख्य रूप से ऐसे लोगों के लिए है जिन्हें कोडिंग और टेक्नोलॉजी की समझ है।

यदि आप किसी मल्टी नेशनल कंपनी जैसे गूगल में काम कर रहे हैं तो आप की सैलरी भारतीय मुद्रा(INR) के अनुसार 1 करोड़ प्रतिवर्ष तक भी हो सकती है। 




सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग बनने के लाभ (Benefits of becoming a software engineer) :-

यह बड़े सॉफ्टवेयर की कठनाइयों को कम करता है। बड़ा सॉफ्टवेयर हमेशा थोड़ा जटिल और चुनौती भरा होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर के द्वारा बड़े प्रोजेक्ट की कठिनताओं को कम किया जा सकता है। जिससे छोटी समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है।

सॉफ्टवेयर की मदद से प्रोजेक्ट को हैंडल करना आसान होता है। बड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में बहुत समय लगता है और इसके लिए बहुत प्लानिंग करनी पड़ती है। अगर हम सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तरीके को फॉलो करते हैं तो बड़े प्रोजेक्ट्स को बड़ी आसानी से संभाला जा सकता है।







अपने डेटा को सुरक्षित रखने के कुछ आसान तरीके

How to keep your data safe


अगर आपके मोबाइल फोन का डेटा भी तेजी से खत्म हो रहा है तो इन 7 तरीकों से अपने डेटा को बचा सकते है। आइए आपको डेटा सेव करने के 7 मजेदार और जरूरी तरीके बताते है। 

apane deta ko kaise rakhe surakshit


आप सभी तो जानते ही होंगे कि इंटरनेट डेटा पैक के दाम दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। यही कारण है कि हाई स्पीड इंटरनेट डेटा पैक कई यूजर्स की पहुंच से काफी दूर चले गए  है। डेटा पैक की बढ़ती कीमतें तो यूजर के कंट्रोल से बाहर हैं। लेकिन आप चाहें तो सात तरीकों से डेटा को सुरक्षित रख सकते हैं। 

लोगो को जागरूक करने के लिए हर साल 28 जनवरी को 'डेटा प्रोटेक्शन डे' सेलिब्रेट किया जाता है। बस इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हम आपके साथ डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके शेयर करने जा रहें हैं, जिससे आपका डेटा भी रहेगा सुरक्षित।





डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तरीके (Some important ways to keep data safe) :-


1.   एंड्रॉयड में डेटा पर मैनुअल कैप। 

Internet deta को सेव करने के लिए आप मोबाइल पर मैनुअल कैप लगा सकते हैं। इसके लिए आप अपने फोन की 'Setting' मे जाए। यहां 'Network और Internet' में मौजूद डेटा यूसेज में जाएं। फिर 'डेटा वॉर्निंग एंड लिमिट' और 'सेट डेटा वॉर्निंग' पर क्लिक करें। यहां आपसे 1 जीबी तक डेटा लिमिट सेट करने के लिए पूछा जाएगा। आप चाहें तो स्पेसिफिक कैरियर पे भी लिमिट को सेट कर सकते हैं। आप अपने डेटा यूसेज में 'डेटा सेवर' को इनेबल करके भी डेटा बचा सकते हैं।




2.   आईफोन में डेटा पर मैनुअल कैप। 

आईफोन में आप 'Setting' आपशन से मोबाइल डेटा  में जाकर ये देख सकते हैं कि वर्तमान समय में आप कितना डेटा  इस्तेमाल कर चुके हैं। यहां आपको वर्तमान समय रोमिंग टोटल भी दिख जाएगा। यहां से आप किसी भी ऐप पर 'Internet deta' के एक्सेस को ब्लॉक कर सकते हैं। स्ट्रीमिंग ऐप्स पर डेटा को बंद करना यहां एक अच्छा विकल्प होगा।




3.   गूगल क्रोम । 

ज्यादातर लोग वेब ब्राउजर के रूप में 'Google Crome' का इस्तेमाल करते हैं। क्या आप जानते हैं कि 'Google Crome' में बिल्ट इन डेटा सेविंग टूल उपलब्ध होता है। इसके लिए 'Google Crome' की सेटिंग्स से डेटा सेवर में जाएं और 'use deta sever' को ऑन कर लें।




4.   इंटरनेट डेटा और वाई -फाई । 

आज के समय में शॉपिंग सेंटर्स से लेकर शॉपिंग मॉल, ट्रांसपोर्टेशन हब और कैम्पस सभी जगहों पर Wi-Fi की सुविधा उपलब्ध होती है। इसके बावजूद यूजर अपने फोन का इंटरनेट डेटा चालू रखते हैं। आप ऐसी जगहों पर Wi-Fi की सुविधा का भरपूर लाभ उठा सकते हैं और अपना इंटरनेट डेटा पैक बचा सकते हैं।




5.   गूगल प्लेस्टोर । 

कई लोग अपने 'Google play store' में ऑटो अपडेट होने वाली ऐप्स को मोबाइल इंटरनेट डेटा पर रखते हैं। उन्हें ये पता ही नहीं चल पाता कि उनका डेटा कब किस ऐप पर खर्च हो गया। ऐसे में आपको 'Google play store' में अपडेट होने वाली ऐप्स को 'wi-Fi' मोड पर रखना चाहिए।




6.   बैकग्राउंड ऐप्स । 

यूजर जब भी अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं तो उसके बैकग्राउंड में कई सारे ऐप्स एक्टिव रहते हैं। इन पर भी आपको बहुत सारा डेटा खर्च होता है। उदाहरण के लिए 'Google Play' और एप्पल का 'App Store' नए अपडेट और नए मैसेजिस की जांच करता रहता है। इसी तरह सोशल मीडिया ऐप्स भी ऐसे अपडेट को puse करता है। इसलिए आपको ऑटोमेटिक सिंकिंग से ऐसे ऐप्स को स्टॉप कर देना चाहिए।




7.   एचडी वीडियो। 

फोन में स्ट्रीम होने वाले HD video भी मोबाइल डेटा को तेजी से खत्म करते हैं। एक घंटे का HD video बड़ी ही आसानी से 2 GB डेट को खत्म कर सकता है। इसलिए आपको स्टैंडर्ड डेफिनेशन वाले वीडियो देखने चाहिए न कि HD video को। फोन की Display बहुत बड़ी नहीं होती है, इसलिए स्टैंडर्ड क्वालिटी वाले वीडियो इस पर आसानी से देखे जा सकते है|






इंटरनेट स्पीड को बढ़ाये चुटकियों मे

Increase internet speed in a jiffy



दोस्तो इंटरनेट आज के समय मे सभी लोगों की जरूरत  बन चुका है और आज के समय मे हम सभी लोग  4G जैसे Fast इंटरनेट नेटवर्क का उपयोग कर रहे है। लेकिन फिर भी बहुत से लोगो को अपने इंटरनेट स्पीड से काफी शिकायत रहती हैं क्योंकि उनके एंड्रॉइड फोन और कंप्यूटर या लैपटॉप में 4G डाटा स्पीड काफी कम आती है या फिर काफी Slow रहती है।


लेकिन क्या आप जानतें हैं कि आप अपने इंटरनेट स्पीड को बढ़ा भी सकतें हैं और इसके बहुत सारे उपाय  भी है। लेकिन हम आपको यहाँ पर मात्र 12 उपायों के बारे मे जानकारी देंगे। 



तो चलिए इसके बारे में अब विस्तार से जान लेते है कि अपने इंटरनेट स्पीड को कैसे बढ़ा सकतें हैं। लेकिन उससे पहले आपको यह जानना बहुत ही जरूरी हैं कि जैसे......


1.  Internet Speed क्या है ?

2.  Internet Speed कैसे काम करती है ?

3.  Internet की Speed कम क्यों होती है ?


इन तीन टॉपिक के बारे मे जानने के बाद ही हम इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने के विषय मे जानेंगे। 



तो चर्चा करते सबसे पहले topic पर कि "Internet Speed क्या है ?"..... 



Internet Speed वह स्पीड होती है जिसके द्वारा  आप इंटरनेट  की मदद से deta को तेज़ी से Transfer करते है या फिर Receive करते हैं। इसको इस प्रकार समझा जा सकता है कि अगर आप के इंटनेट की स्पीड 5Mbps है तो आप 1 Second में 5mb डेटा को Receive कर रहे है। 

यह सभी को मालूम है कि इंटरनेट  की  स्पीड को  Bytes  Per  Second में  मापा  जाता  है और  इसको  मापने  के लिए आपको  "Internet  Speed  Test  Toolकी  मदद लेनी  पड़ती है। तो अब  आप  समझ  गए  होंगे कि  इंटरनेट स्पीड क्या है ?




अब हम बात करते हैं कि "Internet Speed कैसे काम करती है?"........ 

इंटरनेट स्पीड Wire और Wireless माध्यम से हम  तक  पहुँचती है। और इसकी क्षमता Bandwidth पर ही निर्भर करती है। इसको आप इस प्रकार से समझिए,  मान लेते है कि आपके इंटरनेट की स्पीड 2 Mbps की  है और आपको 5 Mbps की कोई फ़ाइल डाउनलोड करनी है। 

तो ऐसे में आपके Bandwidth की क्षमता को  केवल 2Mb को 2 सेकेंड के समान को लेकर आने की है तो उसको 8 Mb की फ़ाइल लाने में 8 सेकेंड का समय लगेगा। तो आपने अब यह भी जान लिया कि इंटरनेट स्पीड कैसे काम करती है?




अब हम बात करते हैं कि "Internet की Speed कम क्यो होती है ?"....... 



धीरे इंटरनेट स्पीड के कई कारण होते है जैसे कि यूजर की Capacity के मुकाबले कम Bandwidth का मौजूद होना हो सकता है या फिर गलत APN का प्रयोग करना हो सकता हैं या आपके मोबाइल में अच्छे और तेज़ इंटरनेट सपोर्ट करने वाले हार्ड्वेयर का न होना भी हो सकता हैं। लेकिन और भी कई ऐसे कारण होते है जिनके वजह से आपके मोबाइल या  कंप्यूटर या लैपटॉप में इंटरनेट की स्पीड Slow हो जाती है। जैसे  कि कम Low Preference Network 2g का होना, सर्वर का Down होना, Bandwidth की कमी होना, स्पीड लिमिट का सेट होना या फिर Low क्वालिटी के Router का होना।

ये सभी मुख्य कारण है। अगर आप धीमी इंटरनेट स्पीड को  महसूस कर रहे है तो आप अपने इंटरनेट प्लान और  Bandwidth की जाँच अपने इंटरनेट Operator के  द्वारा ज़रूर करवानी चाहिए |




तो चलिए इतना सब कुछ जानने के बाद अब हम सबसे जरूरी टॉपिक "Internet Speed को कैसे बढ़ाये" के बारे बताते हैं।

अगर आपके एरिया या आपके इंटरनेट प्लान की स्पीड 2 Mbps की है तो ऐसा कतई नही हो सकता है कि आप इंटरनेट की स्पीड को 10 mbps तक बढ़ा सकें।लेकिन हाँ यदि आपके इंटरनेट की स्पीड आपके द्वारा लिए गए प्लान से कम आ रही है तो आप अपने उस लिए गए प्लान के मुताबिक इंटरनेट की स्पीड को बढ़ा सकते है। तो चलिए जानते है कि आप किन आसान तरीको को फॉलो करके मोबाइल या कंप्यूटर में  इंटरनेट स्पीड को बढ़ाया जा सकता है।...... 



1.  APN settings को सही करके। 

आपके मोबाइल में  इंटरनेट चलने के लिए APN सेटिंग बहुत महत्वपूर्ण सेटिंग है। अगर आपके इलेक्ट्रॉनिक Device में सही APN नहीं सेट होगा तो आपका इंटरनेट धीमे या फिर बिलकुल बंद हो  सकता है।

तो आप सबसे पहले अपने मोबाइल की सेटिंग्स में जाकर अपने APN को चेक करे और उसको Default RESET कर दे। ताकि यदि कुछ सेटिंग्स में गड़बड़ी हो  तो वो खुद ब खुद सही हो जाए।




2.  Mobile या Computer में ads blocker  का उपयोग करके। 

मोबाइल या कंप्यूटर लैपटॉप पर Internet Browse करते  समय आपने Ads को तो ज़रूर  देखा होगा जो कि Video या Image के Form में होते है और लोड होने के लिए इंटरनेट का अधिक से अधिक इस्तेमाल करते है।

ऐसे में आपका Main Page बहुत धीरे लोड होता है जिसके कारण आपको Slow इंटरनेट का एहसास  होता है। 

अगर आप Ads Blocker का उपयोग करते हैं। तो  आपके ब्राउज़र में Ads लोड नही होगी, जिसके कारण आपका इंटरनेट आपके Actual Web Page को  fast लोड करेगा और आपको फास्ट इंटरनेट का  एहसास होगा।




3.  Device को Change करके। 

गर आप आज के नये समय मे पुराने डिवॉइस को  इस्तेमाल कर  रहे हैं तो उनमें लगे Components भी पुराने  और Low  कैपेसिटी के होंगे, जो की शायद आज के नये  समय की जरूरत के हिसाब से Slow हो  सकते है।

जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक डिवॉइस की Network Strength की  क्षमता कम हो या फिर उसके अंदर का लगा Modem आज के समय के इंटरनेट स्पीड को न संभाल पा रहा हो।

ऐसे में भी आपको अपने Device में Slow इंटरनेट स्पीड की प्रॉब्लम महसूस होगी। तो ऐसे मे आप अपने पुराने  मोबाइल Device को चेंज कर दे।




4.  फालतू Apps को delete करके। 

अगर आपके मोबाइल के कुछ ऐसे ऐप्स मौजूद है  जिनका उपयोग आप अपने जीवन मे रोज नही करते है  और केवल जरूरत पड़ने पर ही करते है तो आप उन ऐप्स को अनइंस्टाल कर दे।

क्योकि यह आपके इंटरनेट का रेगुलर इस्तेमाल करते रहते है। तब भी जब आप उन ऐप्स को इस्तेमाल नही  कर रहे होते और ऐसे में भी आपका इंटरनेट Slow हो  जाता है।

तो आप फालतू ऐप्स को अनइंस्टाल करके भी अपने इंटरनेट स्पीड को कुछ हद तक बढ़ा सकते है। इसके साथ आपके Device में स्पेस भी खाली होगा। 





5.  Background ऐप्स को बंद करके। 

आप अक्सर जब भी फेसबुक या इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स का  उपयोग करते है तब उनको बैकग्राउंड में Open छोड़ देते है। 

ऐसे में जब आप कुछ अन्य काम या Web Browsing कर रहे होते है तब भी आपको Slow इंटरनेट स्पीड का एहसास होता  है।

क्योंकि बैकग्राउंड में रन कर रही फेसबुक जैसी ऐप्स आपके  इंटरनेट डाटा का अधिक इस्तेमाल कर रही होती है।

ऐसे में आप अपने मोबाइल के बैकग्राउंड ऐप्स को Close करके भी इंटरनेट स्पीड को बढ़ा सकते है। हो सके तो सेटिंग्स में जाकर उनको Force Stop कर दे ताकि वह ऐप्स पूरी तरह  से बंद हो जाए।




6. Data Management ऐप्स का उपयोग   करके। 

आज के समय मे बहुत से डाटा मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर  फ्री में उपलब्ध है जिसकी मदद से आप यह जान सकते  है कि कौन सी मोबाइल ऐप्स ज्यादा इंटरनेट डाटा को Consume कर  रही है। और  डाटा  मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर  की  मदद  से  आप  उनके  डाटा  के Consumption पर लिमिट लगा सकते है या पूरी  तरह से बंद कर सकते है। यह भी आपके मोबाइल की  इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने में सहायता करता है।




7.  Fast browser का इस्तेमाल करके। 

आपको हमेशा एक अच्छा और Fast वेब ब्राउज़र ही  इस्तेमाल  करना  चाहिए  क्योंकि  वो  Browser Optimized होते है और वेब Pages को फास्ट  लोड करते है। जिससे कि आपको फास्ट इंटरनेट स्पीड  का अनुभव मिलता है।

अगर आप क्रोम ब्राउज़र का इस्तेमाल करते है तो उसको Update कर ले और उसके सेटिंग्स में जाकर  Light Mood को Enable कर दे।

इससे आपके मोबाइल में वेब Pages फास्ट ओपेन  होगी और आपको इंटरनेट स्पीड भी अच्छा मिलेगा।




8.  Cache clear करके। 

जब भी आप किसी प्रकार के वेब Page को अपने ब्राउज़र या ऐप्स में खोलते है तो उन Pages के    Cache Browser में स्टोर हो जाते है।

जो कि अधिक बढ़ जाने पर आपके इंटरनेट की स्पीड  पर असर डालने लगते है इसलिए आप हमेशा समय  समय पर ब्राउज़र सेटिंग्स में जाकर Clear Cache  और Clear Cookies ज़रूर करे। ताकि आपको  हमेशा फास्ट इंटरनेट स्पीड मिलती रहे।




9.  Best Network preference select   करके। 

अगर आपका नेटवर्क 2G पर सेट है, तो ऐसे में भी आपको  इंटरनेट की स्पीड Slow हो जाती है।

तो आप अपने नेटवर्क को सेटिंग्स में जाकर 3G या 4G नेटवर्क Preference पर सेट कर दे, ताकि आपको  फास्ट इंटरनेट स्पीड मिले। 




10.  सिम को Upgrade करके। 

यदि आप 4G के समय मे भी 2G या 3G नेटवर्क का  इस्तेमाल कर रहे है तो आज ही  अपने सिम  को 4G  में Upgrade करवा ले, ताकि आपको High इंटरनेट स्पीड  मिल सके।

क्योंकि 3G और 2G के मुकाबले आज के समय मे 4G सबसे फास्ट नेटवर्क है और इसमे इंटरनेट स्पीड  आपको 6 से 12 Mbps की आसानी से मिल जाती है।




11.  मोबाइल में Virus Scanner को इंस्टाल   करके। 

Virus Scanner एक बहुत बड़ा फैक्टर है इंटरनेट स्पीड  को बढ़ाने के लिए क्योंकि जब भी आप अपने  फोन में इंटरनेट ब्राउसिंग कर रहे होते है तो कई बार  बैकग्राउंड में Unwanted प्रोसेस होने लगते है जो कि  आपके इंटरनेट resources का उपयोग करते है और  आपके मोबाइल में  Unwanted फ़ाइल को  Secretly Download कर  देते है।

ऐसे में Virus Scanner आपके मोबाइल को Safe  रखता है और सभी Unwanted ऐप्स और Process को ब्लॉक कर देता है तथा इसके साथ साथ आपके ब्राउज़र में Virus वाले वेब Pages को भी ओपेन होने से रोकता है। जिसकी  वजह से आपको Web Browsing करते वक़्त फास्ट इंटरनेट स्पीड का  अनुभव होता है।




12. Ram और Internal Memory को खाली   करके।

किसी भी मोबाइल या कंप्यूटर डिवॉइस को फास्ट चलने के  लिए उसमे उचित रैम और इंटर्नल मेमोरी का होना बहुत  जरूरी है।

अगर आपके फोन का Storage फुल हो गया है या फिर 20% से कम रह गया है तो ऐसे में आपका फोन Slow काम  करने लगता है।

क्योंकि इसका Direct असर आपके फोन के रैम पर पड़ता है तथा मोबाइल में अधिक ऐप्स मौजूद होने से रैम की मेमोरी भी  अधिक इस्तेमाल होती है। जिसके  कारण आपका मोबाइल Device Slow होने लगता है। 

और जब Device Slow काम करेगा तो इंटरनेट स्पीड पर  भी इसका सीधा असर होगा और वो भी  Slow काम करेगा, क्योकि इंटरनेट भी आपके  मोबाइल में मौजूद रैम का कुछ हिस्सा Process के  लिए इस्तेमाल करता है।




ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें..... 

● आप हमेशा अपने फ़ोन में उचित मात्रा में Space  को खाली रखे और सभी सॉफ्टवेयर को Update रखे।

● हमेशा अपने नेटवर्क को 4G पर ही सेट करके  रखे ताकि आपको High इंटरनेट स्पीड मिलती रहे।

● ब्राउज़र में Lite Version को Activate करके  रखे और Lite & Fast वेब ब्राउज़र का ही इस्तेमाल करे जैसे कि  Opera mini, Puffin Browser। 

●  बैकग्राउंड ऐप्स को हमेशा Close रखे ताकि आपके इंटरनेट को वो ऐप्स न Use कर सके।

● Slow होने या इंटरनेट बंद होने की स्थिति में आप  अपने Router और Data को थोड़ी देर के  लिए बंद करके Start करे। अपने मोबाइल नेटवर्क को रिफ्रेश  जरूर करते रहे।



जानिए AC चलाने का सही तरीका

 Know about the correct way to operate AC




बहुत कम ही लोग जानते हैं कि AC चलाने का आखिर सही तरीका क्या है, जिससे AC की लाइफ ज्यादा हो और बिजली की खपत भी कम हो। ऐसे में आज हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिसके अपनाकर अगर आप अपने AC को चलाएंगे तो AC की वजह से बिजली का बिल कम आएगा। 



AC का टन कमरे के आकार, कमरे मे रखे सामान, कमरा कहां बना है, इस पर निर्भर करता है। अगर आपके घर में AC है या फिर आप AC को खरीदना भी चाहते हैं तो आपके दिमाग में सबसे ज्यादा सवाल बिजली के बिल को लेकर रहते हैं। जिन घरों में AC हैं वो AC चलाते तो हैं, लेकिन कोशिश करते हैं कि AC की ठंडक भी बनी रहे और बिजली का बिल भी ज्यादा ना आए। 


ऐसे में लोगों के अलग अलग दावे भी होते हैं, जिनमें AC का बिल कम आने की बात कही जाती है। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि AC चलाने का आखिर सही तरीका क्या है, जिससे बिजली की खपत कम हो सके। 


ऐसे में आज हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिसके अनुसार अगर आप अपना AC चलाएंगे तो ना सिर्फ AC की वजह से बिल कम आएगा बल्कि आपके AC की लाइफ भी बढ़ जाएगी। तो चलिए जानते हैं आखिर AC चलाने का सही तरीका क्या है…... 


1.  एक समान टेम्प्रेचर पर रखें एसी (Keep AC at uniform temperature) :-

यह कई सारी रिपोर्ट में सामने आ चुका है कि अगर AC का टेम्प्रेचेर एक समान रहता है या स्टेबेल रहता है, तो इससे बिजली के बिल पर काफी असर पड़ता है। 

बताया जाता है कि इससे एक डिग्री पर करीब 6 फीसदी बिजली का असर पड़ता है और आप थोड़ा टेम्प्रेचर बढ़ाकर रखते हैं तो इससे आपके AC से आने वाले बिल पर 24 फीसदी तक का फर्क पड़ जाता है। 




2.  18° की जगह 24° पर रखें (Keep it at 24° instead of 18°) :-

कई लोग एकदम से गर्मी लगने पर 18° टेम्प्रेचर पर AC चलाते हैं और फिर इसे कम ज्यादा करते रहते हैं। ऐसे में आप कोशिश करें कि 18° के स्थान पर 24° तापमान पर AC को चालू रखें, इससे आपको एक दम से भले ही ठंडक महसूस ना हो, लेकिन कुछ देर में आपका कमरा अच्छे से ठंडा हो जाएगा और इससे आपका बिजली का बिल भी काफी कम हो जाएगा। 




3.  ज्यादा डिवाइस हो तो हटा दें (If there are more devices, remove them) :-

कई बार ऐसा होता है कि जिस कमरे में AC लगा होता है, उसमें कई और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी लगी होती हैं। इसकी वजह से भी कमरे को ठंडा होने में वक्त लगता है और आपको कम तापमान पर AC चलाना पड़ता है। ऐसे में कोशिश यह करें कि जिस कमरे में AC को चला रहे हैं, वहां फ्रीज आदि सामान ना रखें, क्योंकि इससे गर्मी ज्यादा बढ़ती है। 




4.  टाइमर का इस्तेमाल करें (Use a timer) :-

यह बहुत से लोगों के साथ होता है, कि वे रात में AC चलाकर सोते है। रात में कमरा ठंडा होने के बाद और उन्हें तेज ठंड लगने के बाद भी वो नींद में होने की वजह से AC बंद नहीं करते हैं।


इससे रातभर AC चलता रहता है। ऐसे में कुछ घंटे के लिए AC का टाइमर लगा सकते हैं। इससे AC कुछ घंटे बाद खुद ही बंद हो जाएगा और आपका कमरा ठंडा रहेगा और AC भी सही समय पर बंद हो जाएगा। इस आदत से आपका AC का बिल काफी कम हो सकता है। 




5.  फैन और एसी साथ में चलाएं (Run fan and AC together) :-

अगर आप चाहते हैं कि आपको कम से कम AC को चलाना पड़े। ऐसे में आप पहले थोड़ी देर AC चलाएं और उसके बाद कम स्पीड में पंखा चला दें। 

इससे AC की ठंडक पूरे कमरे में फैल जाएगी और कुछ देर में आपको AC बंद करने की जरूरत पड़ेगी। इससे आपका पंखे में भी काम चल जाएगा। 



जानिए कैसेट एसी के बारे में

Know about Cassette AC



दुनिया मे बहुत से लोग अपने घर को गर्म या ठंडा करने के सबसे बेहतरीन और कुशल AC में से एक cassette AC (कैसेट एसी) से अभी भी अनजान हैं। वास्तव में, cassette AC (कैसेट एसी) इतने सरल और साधारण होते हैं कि अधिकांश लोगों ने इस cassette AC (कैसेट एसी) को बिना यूज किये ही अनुभव कर लिया है। 





cassette AC(कैसेट एसी) सिस्टम मुख्य रूप से कार्यालय, भवनों, बड़े मॉल और खुली योजना क्षेत्रों में बड़े स्थानों को गर्म करने और ठंडा करने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन cassette AC(कैसेट एसी) बड़े या खुले स्थानों मे उपयोग के साथ साथ घरेलू उपयोग के लिए भी उपयुक्त हैं| यही नही cassette AC(कैसेट एसी) सिस्टम आपके घर पर जलवायु नियंत्रण की ज़रूरतों के अनुरूप भी है।






लेकिन cassette AC(कैसेट एसी) वास्तव में क्या है और यह कैसे काम करता है? कैसेट एयर कंडीशनर के क्या फायदे हैं। इसके विषय मे पूरी जानकारी न होना, यह हम सभी लोगो के सामने अभी भी एक जटिल समस्या के रूप मे बनी हुई हैं।





तो  चलिए  इस  पोस्ट  के  माध्यम  से  आप  सभी लोगों की इस  जटिल  समस्या  को  दूर  करने  का  प्रयास  करते  हैं ताकि आप सभी लोग इस cassette AC(कैसेट एसी) का आनंद उठा सके। तो सबसे पहले समझते है कि....... 




कैसेट एसी क्या है? (What is Cassette AC?) :-

एक cassette AC(कैसेट एसी) अनिवार्य रूप से एक प्रकार की विभाजन प्रणाली है, क्योंकि इसमें दो यूनिट होती हैं,एक अंदर और दूसरी बाहर स्थापित होती हैं| cassette AC(कैसेट एसी) के साथ अंतर यह है कि Indoor unit(इनडोर यूनिट) छत  में  स्थापित  होती है।


Indoor unit(इनडोर यूनिट) एक माउंटेड ग्रिल है जो वेंट के माध्यम से गर्म या ठंडी हवा देता है और इसके लिए किसी डक्टवर्क की जरूरत भी नहीं होती है।Indoor(इनडोर) और Outdoor(आउटडोर) यूनिट को जोड़ने वाली नली छत की जगह में छिपी हुई हैं। सरल और सीधा डिजाइन उन्हें न केवल कार्यालयों और अन्य व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए ही नहीं बल्कि घरों और अपार्टमेंटों के लिए भी आदर्श बनाता है। 


cassette AC(कैसेट एसी) सिस्टम का सबसे शोर करने वाला हिस्सा "कंडेनसर (या कंप्रेसर)" होता हैं जो कि घर के बाहर  होता है। 






कैसेट एसी सिस्टम कैसे काम करता है? (How does a cassette AC system work?) :-

cassette AC(कैसेट एसी) अन्य वॉल-माउंटेड spilt system unit की तरह काम करते हैं। इसे हम दूसरे शब्दो मे इस प्रकार से समझ सकते है कि एक cassette AC(कैसेट एसी) अन्य spilt system की तरह ही काम करता है। 



परन्तु वास्तविक अंतर यह है कि cassette AC(कैसेट एसी) के सिस्टम छत पर लगे होते हैं, दीवार पर नहीं और तो और cassetteAC(कैसेट एसी) की हेड यूनिट को आकर्षक रूप देने के लिए छत के साथ फ्लश लगाया जाता है। यह हेड यूनिट के सेंटर यानी केन्द्र में हवा खींचता है, और इस हवा को ठंडा या गर्म करता है, परन्तु ठंडी हवा और गर्म हवा केवल और केवल इस पर निर्भर करती है कि आपने अपने AC को किस mode पर सेट किया है। 



इसके बाद यह "4 वे" वेंट सिस्टम के माध्यम से एक cassette AC(कैसेट एसी) हवा से गंध, प्रदूषक, धूल और अतिरिक्त नमी को हटा देता है और इसे या तो ठंडी या गर्म ताजी हवा मे बदल देता है। seeling AC(सीलिंग एयर कंडीशनर) के साथ किसी डक्टवर्क की आवश्यकता नहीं होती है और आउटडोर कंडेनसर एक से अधिक Indoor unit(इनडोर यूनिट) को पावर दे सकता है, इसलिए यदि आवश्यक हो तो आप कई कमरों में सीलिंग ग्रिल्स स्थापित कर सकते हैं। 




इनडोर कैसेट के वेंट के माध्यम से दो, तीन या चार दिशाओं में ठंडी या गर्म हवा को नीचे की ओर भेजा जाता है। अधिक सामान्य वर्ग मॉडल के साथ, गोलाकार डिज़ाइन हैं जो 360 डिग्री एरिया को कवर करता हैं, जिससे आपको सभी जगह बराबर वायु प्रवाह मिलता है। 






कैसेट एसी के लाभ (Benefits of Cassette AC) :-

=>   एक cassette AC(कैसेट एसी) आपकी छत में बड़े आराम से फिट बैठता है और आपके घर में कोई दीवार की जगह भी नहीं लेता है।


 

=>   cassette AC(कैसेट एसी) हर दिशा में समान रूप से गर्म हवा और ठंडी हवा को भेजता हैं।


 

=>   cassette AC(कैसेट एसी) कमरे को जल्दी और कुशलता से गर्म या ठंडा करते हैं, जिसका मतलब यह है कि स्वयं के द्वारा निर्धारित किये गये तापमान तक पहुँचने पर ऊर्जा की बचत करता है।


 =>   ये AC सिस्टम कार्यालयों और अन्य बड़े स्थानों में उपयोग किए जाते हैं, इसलिए यदि आपके पास एक खुली योजना का डिज़ाइन है तो यह आपके घर के लिए आदर्श होगा। कॉम्पैक्ट इकाइयां छोटी जगहों के लिए भी उपयुक्त हैं।



=>   cassette AC(कैसेट एसी) दिखने मे स्टाइलिश होते हैं और अधिकांश घरेलू डिजाइनों में आसानी और सरलतासे फिट हो सकते हैं।


=>   आमतौर पर cassette AC(कैसेट एसी) की दूसरी यूनिट बाहर स्थित होती हैं। और पहली यूनिट अंदर होती हैं जिससे बिना किसी शोर गुल के गर्म या ठंडी हवा निकलती हैं साथ मे यह किसी कार्यालय या भवन के निवासियों के कर्मचारियों के काम मे बाधा नही बनती हैं।


=>   अतिरिक्त सुविधा और आराम के लिए प्रोग्राम करने योग्य थर्मोस्टेट के साथ तापमान को नियंत्रित भी कर सकते हैं।


=>   कैसेट एयर कंडीशनर कई वर्षों तक चलते हैं और इनका रखरखाव भी बड़ा आसान होता हैं। और आपको समय समय पर नियमित रूप से सूखे कपड़े से वेंट को पोंछना चाहिए और नियमित रूप से एयर फिल्टर को भी साफ या बदलना चाहिए।





कैसेट एसी के नुकसान (Disadvantages of Cassette AC) :-

=>   cassette AC(कैसेट एसी) छत पर लगे होते हैं उनके कम्प्रेसर बाहर लगे होते हैं। बड़ी और ऊँची इमारतों में एयर कंडीशनिंग ब्लॉक और कम्प्रेसर के बीच की दूरी बहुत अधिक हो सकती है, जिसका अर्थ यह है कि इसको लगाने के दौरान दीवारों में कई छेद ड्रिल किए जा सकते हैं| यह बहुत महंगा भी हो सकता है और इसे स्थापित करने में लंबा समय भी लग सकता है।


 =>   यदि आप जिस इमारत में रहते हैं या काम करते हैं उसमें कई मंजिलें हैं, तो यह निश्चित नहीं है कि छत पर cassette AC(कैसेट एसी) लगाने के लिए आपके पास पर्याप्त जगह मिल ही जाए।


=>   यदि आप अपने पूरे घर को गर्म या ठंडा करना चाहते हैं, तो आपको कई इनडोर ग्रिल्स की आवश्यकता भी होगी मतलब आपको कई यूनिट की आवश्यकता भी पड़ेगी जिससे आपका खर्चा भी बढ़ेगा।


 =>   मानक वॉल-माउंटेड Spilt system की तुलना में cassette AC(कैसेट एसी) खरीदना और उसको लगाना बहुत अधिक महंगा हो जाता हैं।


=>   अगर आपके पास एक ऐसा घर है जो cassette AC(कैसेट एसी) के अनुकूल है, तो इसमें कोई दुविधा नहीं है कि बड़े और छोटे कमरों को गर्म और ठंडा करने के मामले में यह एक कुशल और साधारण विकल्प है। cassette AC(कैसेट एसी) सिस्टम आपके घर के लिए सही है या नहीं यह जानने के लिए किसी जलवायु नियंत्रण विशेषज्ञ से बात करके आपकी समस्या का समाधान हो सकता हैं।